नंगी रण्डी आंटी चुदाई कहानी में मैं मुठ मार कर गुजरा कर रहा था, कोई चूत नहीं मिली थी. तभी पड़ोस में एक आंटी रहने आई. मैंने पहली बार उन आंटी की चुदाई की.
दोस्तो, नमस्कार. मैं आपका दोस्त सिम्पल ब्वॉय (बदला हुआ नाम) अपनी पहली सेक्स कहानी में आपका स्वागत करता हूँ.
इस Nangi Randi Aunty Chudai Kahani का कोई भी हिस्सा नाम और जगह को छोड़कर काल्पनिक नहीं है व पूरी कहानी सच्ची घटना पर आधारित है.
यह घटना जिसके साथ घटी थी, उसी के शब्दों को मैं सेक्स कहानी के रूप में आपने पेश कर रहा हूँ.
दोस्तो, मेरा नाम अमित (बदला हुआ नाम) है.
मेरा रंग सांवला, लंबाई 5 फुट 5 इंच की है. दुबला पतला शरीर है.
मैं उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के एक गांव का रहने वाला हूँ.
मेरे गांव का नजदीकी शहर खुर्जा है जो बुलंदशहर जिले में आता है.
तब मेरी उम्र 19 वर्ष थी और मैं कॉलेज की पढ़ाई कर रहा था.
मुझे बचपन से फोन चलाने का कुछ ज्यादा ही शौक था लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार होने की वजह से अच्छा फोन कभी नहीं मिला.
कुछ दोस्तों के पास बड़े फोन थे, वे ब्लू फिल्म देखते थे.
जब मैंने पहली बार मोबाइल में ब्लू फिल्म देखी तो इतना मन करने लगा था कि पूरा दिन बस यही सब देखता रहूं.
दोस्तों के मोबाइल में मुझे यह सब देख कर बहुत मजा आता था.
पर होता यह था कि कुछ देर बाद दोस्त अपना फोन लेकर चले जाते और मुझे ऐसा लगने लगता मानो खड़े लंड पर धोखा हो गया हो.
ऐसा 10-12 दिन में एक बार होता ही होता था.
मेरे वे दोस्त मुझसे काफी सीनियर थे.
मैं चुपके से देखता था तो वे भी कुछ नहीं बोलते थे.
मेरे अलावा और भी स्टूडेंट्स देखते थे लेकिन मैं चुप खड़ा रह कर देखता था.
कभी कभी मैं किसी सीनियर से नजर मिल जाने पर अपनी नजरें फेर लेता और फिर से देखने लगता था.
इस तरह से मेरे अन्दर भी उत्तेजना बढ़ने लगी थी.
लेकिन ज्यादा कुछ कर नहीं पाता था और कुछ ठीक से समझता भी नहीं था कि किस तरह से क्या क्या किया जाता है.
इसी तरह कॉलेज में समय बीतता गया.
एक साल बाद की बात है. उस वक्त तक मुझे मुठ मारना क्या होता है, यह नहीं मालूम था.
ब्लू-फिल्म देख कर बस इतना ही समझ आया था कि लंड के लिए एक चुत का इंतजाम होना जरूरी है.
फिर एक दिन काफी सारे लड़के एक पेड़ के ऊपर एक मोटी सी डाल पर बैठे थे.
मैं भी ऊपर चढ़ गया.
उनमें से एक लड़का सबसे बड़ा था. उसने अपना लंड निकाला और बोला- देखो तुमको एक चीज सिखाता हूँ.
यह कह कर वह मुठ मारने लगा.
हम सब उसको देख रहे थे. उसका लंड मोटा और खुला था क्योंकि खतना हुआ था.
फिर उसने सबको ये करने को बोला और सब करने लगे.
मैं भी मस्ती मस्ती में करने लगा.
देखते ही देखते उसका वीर्य निकल आया मगर मेरा नहीं निकला था.
एक ने उससे पूछा- अबे ये क्या निकला है?
उसने बोला- ये मजा है, इसको मजा कहते हैं. हाथ से हिलाते हिलाते जब लंड गर्म हो जाता है, तब माल निकल आता है.
सबने कोशिश की लेकिन सब नाकामयाब रहे क्योंकि सबके अन्दर उत्तेजना नहीं थी.
फिर मैं घर आकर सो गया.
शाम को मैं छत पर मुठ मारने की कोशिश करने लगा.
पहले दिन तो कुछ नहीं हुआ क्योंकि खुली छत पर डर लग रहा था और उसी डर के कारण लंड में उत्तेजना नहीं आ रही थी.
पर निरंतर प्रयास करते रहने से कुछ ही दिनों में मैं हस्तमैथुन करना सीख गया और मेरे लंड से वीर्य भी निकलने लग गया.
पहली बार वीर्य निकला तो मुझे इतना ज़्यादा मजा आया कि मुझे इसकी आदत ही लग गई.
एक दिन छत पर चचेरे भाई ने मुझे मुठ मारते हुए पकड़ लिया.
लेकिन मैंने बात घुमाते हुए कहा कि मेरे नीचे खुजली हो रही है, इसलिए खुजा रहा हूँ. तुमको पीछे से गलत लग रहा है.
उस वक्त मेरा मुँह उनके विपरीत था तो मामला सलट गया और मैं कूटे जाने से बच गया.
यह सिलसिला चलता रहा और मुठ मारते हुए मुझे दो साल हो गए.
अब तक मैंने कई लड़कियों के नाम की भी मुठ मारी.
बीच बीच में एक छोटा की-पैड वाले फोन में टू जी इंटरनेट चलाते हुए ब्लू फिल्म देख कर भी लंड हिला लेता था.
उस समय पहले से मोबाइल में ब्लू फिल्म डाउनलोड करना पड़ती थी, तब देख पाता था.
ऐसे ही समय बीतता गया और मैं चुत की तलाश में पागल होता गया.
दोस्तो, उसी समय मुझे सेक्स कहानियों की साइट xKahani.com के बारे में जानकारी लगी और मैं सेक्स कहानी पढ़ने लगा.
जल्दी ही मुझे सेक्स कहानी पढ़ने का बहुत शौक लग गया था जो आज भी मेरी प्रमुख रुचियों में से एक है.
इसी तरह एक दिन मेरे मन में ख्याल आया कि क्या सेक्स कहानियां सच भी होती हैं या नहीं.
मैं लंड हिलाते वक्त ऐसा ही सोचता रहता था और आखिर में जब लंड कड़क हो जाता तो अंतिम क्षणों में सेक्स कहानी को सच मान कर नायिका के ऊपर खुद को चढ़ा हुआ महसूस करके वीर्य फेंक देता था.
फिर थोड़ा और समय निकला तो मेरे घर में एक बड़ा वाला फोन आ गया था.
वह मुझे भी देखने को मिल जाता तो चुपके से ब्लू फिल्म देखने लगता था.
फिर एक दिन किस्मत ने जोर मारा.
हमारे घर के पड़ोस में एक आंटी रहने आ गई थीं.
उनके तीन बच्चे थे.
उनका पति सुबह काम पर जाता और शाम को आता था.
आंटी करीब 35 साल की रही होंगी.
उनके बारे में मैंने बहुत कुछ सुना था कि इनके कई मर्दों से चक्कर हैं, इसी वजह से यह घर बदलती रहती हैं.
मुझे इन बातों पर यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि वे ज्यादा सुंदर नहीं थीं.
मैं एक दिन ऐसे ही घूमते हुए उनके घर पहुंच गया.
वैसे मैं कभी उनके घर नहीं गया था और उनसे कोई खास काम नहीं था.
मैं उन्हें देख कर नमस्ते की.
तो वे अचानक से बोलीं- नमस्ते आइए.
मैं चौंक गया कि ये तो अन्दर बुला रही है.
मैं हिम्मत करते हुए अन्दर चल गया.
लोग बोलते थे कि वह दूसरे मजहब से है लेकिन वे उन जैसे रहती नहीं थी.
मतलब मैंने उसे कभी बुरका आदि में नहीं देखा था.
जब मैं उसके घर में गया तो देखा कि अन्दर उसके बच्चे भी थे.
मुझे आया देख कर वे सब ऐसे बाहर जाने लगे, मानो उन्हें इस बात को सिखाया गया हो.
पर उनका एक बच्चा पैसे मांगने की जिद करने लगा.
वे उसको डांट रही थी.
फिर मैंने मजाक करते हुए कहा- बच्चों को पैसे दे दो, डांट मत लगाओ न!
वह बोली- सारा दिन पैसे ही मांगते रहते हैं. मैं एक दिन में इन्हें कई बार पैसे दे चुकी हूँ अब और पैसे कहां से लाऊं!
मैंने कहा- इनके अब्बू से बोलो कि इनको पैसे देकर जाया करें. कुछ खुले पैसे भी पास में रखा करो, वर्ना ज्यादा पैसे भी बच्चों को बिगाड़ देते हैं.
तो उसने कहा- हां.
अब वह मुझे कुछ घूर कर तिरछी नजरों से देख रही थीं लेकिन मेरा कोई गलत इरादा नहीं था.
फिर मैं शरारती मन से मजे लेने लगा और गर्म होने लगा.
मुझे डर भी लग रहा था क्योंकि मैं बिल्कुल अनाड़ी था और वह खिलाड़िन लग रही थी.
मैंने कहा- यदि मेरे बच्चे होते तो तुमको अलग से इनके लिए पैसे देता!
इस बात पर वह मुस्कुरा दी और शायद गर्म भी हो चुकी थी.
वह फट से बोली- रूक जाओ यार, जरा बच्चों को तो चला जाने दो!
मैं उसकी भाषा से ही उसका मतलब समझ गया था कि यह चालू माल है.
मैंने कहा- ठीक है.
उसके बाद तो मैं मन ही मन खुश होते हुए बोला कि बेटा तैयार हो जा, शर्माना मत आज.
उसने अपने बच्चों को दस रुपए दिए और वे सब चले गए.
बच्चों के जाते ही उसने दरवाजा बंद कर दिया और मुझे कामुक नजरों से देखती हुई कमरे की तरफ चली गई.
मैं भी पीछे ही चल दिया था.
उसने कमरे में आते ही जल्दी से अपनी सलवार को उतार कर दूर फेंक दिया और लेट कर बोली- आ जाओ, मेरे ऊपर लेट जाओ. ज्यादा देर नहीं करो.
मैंने भी मौका देखा कि जल्दी जल्दी ही सब करना है.
उसकी बिना पैंटी की चुत मेरे सामने खुली हुई थी.
मैंने उसकी चूत देखी, तो एकदम सफाचट थी.
शायद उसने उसी दिन अपनी झांटें साफ़ की थीं.
फिर भी अपनी मैंने पैंट निकाल कर अलग रख दी और लंड पर थूक लगाते हुए उसकी तरफ आ गया.
वह मेरे लंड को देख रही थी.
मैंने उसके ऊपर चढ़ कर अपना लंड उसकी चूत पर सैट कर दिया.
दोस्तो, ये सब इतना जल्दीबाजी में हो रहा था कि मैं बयान ही नहीं कर सकता.
मैं लंड पेलने की पोजीशन में उसके ऊपर लेट गया और जैसे ही चुत में डाला, तो लंड का सुपारा अन्दर ही हो पाया.
फिर और कोशिश की, लेकिन लंड अन्दर नहीं जा रहा था.
तभी वह एकदम से बोलने लगी- क्या कर रहे हो यार, अच्छे से डालो न!
मैंने इधर उधर देखा और वहीं पर खाना बनाने के लिए सरसों के तेल की बोतल रखी दिख गई.
तो मैंने झट से तेल लिया और लंड और चूत पर अच्छे से लगा लिया.
मैंने उसको चित लेटने को कहा तो वह झट से लेट गई.
मैंने लंड अन्दर दबाया तो इस बार सट से अन्दर चला गया.
ओ भाई क्या नजारा था यार … एकदम ऐसा लगा कि ऐसे ही इसकी लेता रहूं.
अब मैंने रण्डी आंटी नंगी चुदाई करते हुए धक्के लगाने शुरू किए और और पिस्टन की तरह फायरिंग करने लगा.
तभी मुझे उसके चूचों का ख्याल आया तो मैंने उसका कुर्ता ऊपर कर दिया.
लेकिन उसकी चूचियों में दम नहीं था, तो मैंने उनको नहीं चूसा, सिर्फ पकड़ मजबूत के लिए छाती पकड़ कर चोदने लगा.
इसी पोजीशन में मैं उसको दस मिनट तक चोदता रहा.
इस दौरान मेरे टट्टे (आंड) उसकी गांड के छेद को बार बार चूम रहे थे और मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत को भोसड़ा बना रहा था.
थोड़ी ही देर में मैं झड़ गया और मैंने उसकी चूत में ही पिचकारी निकाल दी.
कुछ ही देर बाद मैं उसके ऊपर से उठा और अपने कपड़े पहनने लगा.
वे भी उठ कर जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी.
उसके बाद मैंने उसकी तरफ देखा, तो वह मुस्कुरा रही थी.
मैंने अपनी पैंट से पर्स निकाला और उसके हाथ में दे दिया.
वह मेरी आंखों में देखने लगी.
मैंने आंखों से ही कह दिया कि जो मन हो, सो ले लो.
उसने एक पाँच सौ का नोट निकाला और बोली- इतने दो बार के हैं. आप एक बार और आ जाना.
मैंने उसे प्यार से देखा और उसके हाथ से पर्स लेते हुए उसके हाथ में एक पांच सौ का नोट और उसके हाथ में रख दिया.
उसकी आंखें डबडबा आई थीं.
मैंने कहा- ये मेरी तरफ से तुमको तोहफा है. मैंने तुम्हें खरीद नहीं सकता.
वह बिस्तर से उठ कर मेरे सीने से लग गई और रोने लगी.
मैं उसे प्यार से चूमने लगा और उसकी पीठ को सहलाने लगा.
फिर मैं वहां से आ गया आते समय मैंने उसके की-पैड वाले मोबाइल में अपना नंबर डायल कर दिया.
यह मेरी पहली चुदाई थी.
उसके बाद मैं भूल ही गया था कि डर क्या होता है.
मैं वापस आ तो गया पर मेरा मन नहीं लग रहा था.
मैंने उसके फोन नंबर पर फिर से कॉल कर दिया.
उसने फोन उठाया तो मैंने अपना नाम बताते हुए कहा- मैं अपना नाम नहीं बता पाया था इसलिए फोन किया.
वह कहने लगी- मैं आपका इंतजार कर रही हूँ.
मैंने कहा- क्या अभी ही आ जाऊं?
वह बोली- हां मेरा मन नहीं लग रहा है.
इसके बाद मैं फिर से उसके घर चला गया और अन्दर आते ही मैंने उसको सीने से लगा लिया.
जल्दी ही हम दोनों में फिर से सेक्स होने लगा.
उस दिन मैं बहुत ही खुश था.
शाम को घर आते ही मेरी खुशी को देखते ही मां ने पूछा- आज बड़ा खुश दिख रहा है, ऐसा क्या मिल गया है?
मैं मुस्कुरा कर अपने कमरे की तरफ चला गया.
मां ने भी ध्यान नहीं दिया.
अब तो मैं रोजाना उसके घर जाने लगा था.
जब चाहे उनको चोदने को मिल जाता था.
फिर कुछ दिन बाद मैं अपनी ट्रेनिंग पर बाहर चला गया.
उससे मिले बिना काफी दिन बीत गए.
करीब छह महीने बाद जब मैं वापस आया, तो उसको देखने गया.
वह अपने दरवाजे पर बैठी थी.
मैंने उसकी तरफ देखा और उसने इधर उधर देख कर झट से मुझे अपने घर में आने का इशारा कर दिया.
दोस्तो, मैं खुद ही बेकरार था तो किसे मौका जाने देने वाला था.
मैं तुरंत ही उसके घर में घुस गया और उसने भी अन्दर आते ही दरवाजा बंद कर लिया.
वह गांड मटकाती हुई कमरे में चली गई.
मैं भी कमरे में घुस गया था.
दोस्तो, मैं जानकार तो था, लेकिन मेरे पास बहुत ज्यादा अनुभव नहीं था.
अन्दर जाते ही मैंने उसको पकड़ लिया.
उसने पहले की तरह सलवार अलग करते हुए अपनी टांगों से निकाल दी और नीचे लेट गई.
मैंने कहा- आज ऊपर नहीं लेटी?
वह बोली- नहीं आज नीचे ही करना है.
मैं लंड हिलाते हुए उसके ऊपर आ गया.
उसने कहा- जल्दी ही चोद कर खेल खत्म कर देना और आज तेज गति से चोदना!
मैंने कहा- क्यों?
वह बोली- बच्चे आने वाले हैं.
अब तक मुझे जोश आ गया था. मैंने उसकी चूत को देखा, तो एकदम चिकनी चमेली थी.
शायद चुत की सफाई करना उसका रोज का नियम था.
मैं चुत में उंगली करके उसको उत्तेजित करने लगा.
मैंने उससे चूत चाटने को पूछा, तो उसने हां बोल कर सर हिला दिया.
मैंने कभी किसी की चूत नहीं चाटी थी लेकिन सेक्स कहानी पढ़ कर चाटने का मन करने लगा था, तो मैंने चाटना शुरू किया.
जैसे ही मैंने चुत पर मुँह लगाया, तो बदबू आने लगी … लेकिन मैंने हार नहीं मानी और गन्दी चूत चाटने लगा.
उसको मजा नहीं आ रहा था, तो मैंने उसकी चुत के दाने को काटना शुरू किया.
वह तिलमिला उठी.
कुछ देर बाद मैंने मुँह हटाया और उससे लंड चूसने को बोला.
लेकिन उसने नहीं में सर हिला जवाब दिया.
इस पर मुझे बहुत गुस्सा आया.
मैंने जिद भी की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
मैं मन मार कर रह गया.
अब ज्यादा देर न करते हुए मैंने उसके पैरों को फैलाया और चूत पर थूक गिरा दिया.
मैं चुत को अंगूठे से मसलने लगा और थोड़ा सा लंड पर भी थूक लगा लिया.
फिर मैंने सुपारा चूत पर टिकाया और आगे पीछे करके धक्के लगाने शुरू कर दिए.
वह आह आह करने लगी.
मैंने ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी और पट फट की आवाज आने लगी.
मैंने उससे पूछा- मैंने तुम्हारे बारे में बहुत लोगों के साथ सेक्स की बातें सुना है … क्या वह सच है?
उसने हां बोलते हुए कहा- मैं पेशा नहीं करती हूँ लेकिन जरूरत पूरी करने के लिए कुछ दोस्तों के साथ सेक्स कर लेती हूँ.
मैंने उससे इसी प्रकार बातें करते हुए करीब 15 मिनट तक चोदा और उसके बाद मैं स्खलित होकर उसके ऊपर गिर गया.
फिर मैंने अपने कपड़े ठीक किए और जल्दी से बाहर आ गया.
दोस्तो, उसके बाद उसने मुझे चूत नहीं दी.
फिर कुछ समय बाद मैंने उसको फिर से चोदा.
अब उसकी एक दुर्घटना में मौत हो चुकी है. मुझे अब मुठ मारकर काम चलाना पड़ता है.
कभी कभी मन होता की किसी जगह अच्छी सी पर्सनल चूत का जुगाड़ हो जाए, चाहे उसकी महीने में एक बार ही मिले.
आपको यह नंगी रण्डी आंटी चुदाई कहानी अच्छी लगी होगी.
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